Nikhil

ऐ मेरे पुराने दोस्त

ऐ मेरे पुराने दोस्त
बीत गए ज़माने दोस्त
मिले थे तो बचकाने थे
हो गए अब सयाने दोस्त

तेरे बाद और भी लोग
आए और आकर गए हैं
हर दफ़ा जो मिला उन से
एक अलग ही मैं मिला
वो मैं जो बदलता रहा
दुनिया के नकली ढंग में
दिन-ब-दिन ढलता रहा

जाना मुझे जब किसी ने
तो ऊपर वो परतें भी थीं
जिनके नीचे असल मैं था
उनका मैं और तेरा मैं
सिर्फ़ शक्ल में ही एक था

सबने जाना-पहचाना है
पर दिल बेगाना है सबसे
वो तुझे जानता है
वो तुझे पहचानता है

जो तब था
जब पर्दे चढ़े नहीं थे
जब तकल्लुफ़ बढ़े नहीं थे
जब थे हम एक से दीवाने दोस्त

तेरी जगह दिल में और है
ऐ मेरे पुराने दोस्त