बड़े शहरों की बड़ी बिल्डिंगे
बड़े शहरों की बड़ी बिल्डिंगे
ऊँची हैं पर गहरी नहीं
सुंदर हैं पर सरल नहीं
सहूलत भरी पर अपनी नहीं
यहाँ गीज़र है, यहाँ हीटर भी है
पर छोटे शहरों सी गरमाहट नहीं
यहाँ अल्फ़ाज़ तो कई ज़ुबान के हैं
पर उनमे मोहब्बत की सजावट नहीं
यहाँ भीड़ में आखें कई लड़ती हैं
यहाँ अवाम किताबें कई पढ़ती हैं
अक्ल की मूरत भी कई मिलती हैं
पर बिनकाम यारी ज़रा कम दिखती हैं
फ़्लैटों के किचन मोडुलर से हैं
बड़े विकसित बड़े तकनीकी हैं
नुक्कड़ के टपरी वाले पर
ज़रा बेहतर दर्जे के बावर्ची हैं
क्या ग़ज़ब है हम भी
अपने शहरों से मिली
रोटी और मोहब्बत छोड़ कर
इन बड़े शहरों में दौड़ कर
रोटी और मोहब्बत ख़रीदने
के जतन को ज़िंदगी कहते है…