Nikhil

बड़ी सयानी रे दुनिया

ज़रा सयानी है ये दुनिया
ये हर बात का
सबूत मांगती है

एक नज़र लगता है जैसे
ये हर बात का सच
जानना चाहती है

मेरी हर कामयाबी
हर मुनाफ़ा हर जीत
ये सिर्फ तब मानती है
जब मेरे पास
कोई सबूत हो

इतना पुख़्ता रखती है
ये सबूतों का हिसाब

बस मेरी ख़ुशी का
साबूत कभी
नहीं मांगती
मेरी बातें मेरी हँसी
कभी नहीं कुरेदती
मैं कहता हूँ ख़ुश हूँ
तो मान लेती है
ज़रा ना-समझ है
या शायद ज्यादा ही
समझदार है ये दुनिया