एक लड़की है नज़र में
एक लड़की है नज़र में
कुछ दिनों से बातें होतीं हैं दिल से
बड़ी तारीफें करता है
उसे देख तेज़ धड़कता है
कहता है, बड़ी कमाल है
एक नज़र में तो बड़ी सादी, बड़ी आम है वो
गौर करने पर कोई उम्दा कलाम है वो
मसरूफ़ काम में रहती है, उसे खबर कहाँ
किसी की सुबह की रोशनी, किसी की मीठी शाम है वो
कभी एक आती ज़ुल्फ़ को यूँ कान के पीछे लेना
किसी को दो पल देखना, फिर दिल ही में उसके रहना
इतने हुनर हैं पर उसे कोई हिसाब नहीं
जो देखता है वो कहता है, वाह कोई जवाब नहीं
कभी गुमसुम होती है कभी हंसती है
कभी बचकानी शरारतें करती है
सुना है वो अकेले में फ़ैज़ की नज़्में पढ़ती है
ऐसा भी क्या भला होता है कहीं
बहता है झरना जहाँ, हो ठहरा तालाब वहीं
ना जाने क्या है, पर जो भी है
क़ालिब-ए-ख़याल है
ठीक ही कहता है दिल
कि वो लड़की कमाल है