हाँ कह आए हैं
हाँ कह आए हैं
मगर दिल माना नहीं है
उस रास्ते जाना है
जहाँ दिल को जाना नहीं है
ऐसा तो नहीं है कि
दिल में कोई आरज़ू नहीं
किसी ने उन्हें मगर
पहचाना नहीं है
उम्र अब तक जो गुज़री है
गुज़री है जी हज़ूरी में
आगे भी अपनी मर्ज़ी का
नज़र आता कोई फ़साना नहीं है
कब तलक किसी और ज़रिये से
दिल बहलाया जाए
अब तो ख़ुश-गुमानी का भी
कोई बहाना नहीं है
अब तो यूँ लगता है कि जैसे
अपनी ख़ुशी का कोई भी
ठौर ठिकाना नहीं है
I’ve said yes
But my heart hasn’t agreed
I have to take the path
Where my heart doesn’t want to go
It’s not that
There are no desires in my heart
But no one has
Recognized them
The life I’ve lived so far
Has passed in submission
And ahead too, I don’t see
Any story of my own choosing
For how long
Shall I find solace through other sources?
Now, there is no excuse
For even the false conception of happiness
Now it feels as if
There is no place
Where my happiness truly belongs