Nikhil

हर एक नज़र में तुम्ही तुम रहते हो

हर एक नज़र में तुम्ही तुम रहते हो
कहीं पे ज़ाहिर कहीं गुम रहते हो

ये सब दीवारें चारों ओर हैं जो
सिर्फ़ इनके अंदर क्या तुम रहते हो

पता तुम्हारा जहाँ ने जहाँ का दिया
है मैंने देखा वहीं से गुम रहते हो

जहाँ ने क़ाफ़िर जिस भी दिल को समझा
वहाँ भी अपनी मौज में तुम रहते हो