Nikhil

हर फ़न

हर फ़न जो मुझको आता है
वो आने में वक़्त लेता है
हर गुज़रते रोज़ ये मेरे
इम्तिहान सख़्त लेता है
क़ीमत बता दे तो ख़रीद लें
पर मोल फ़क़त मेहनत लेता है
बेईमानी करें जो मेहनत में
तो आने का भरम देता है
ज़िम्मेदारी धूप सी चुभती है
तो ये साया, बनकर दरख़्त देता है
काट देता है दुनिया जहान से मगर
बड़ा सुकून कमबख़्त देता है

Every skill/art I possess
Takes its time to arrive
Each passing day
It tests me harder
Name the price, and I’ll buy it
But it only demands hard work
If I cheat it for hard work
It gives me the illusion of arrival
When responsibility stings like the sun
It offers shade like a tree
It cuts me off from the world
Yet oddly enough, brings a lot of peace