Nikhil

हुनरमंद लोगों की दुनिया

इस हुनरमंद लोगों की दुनिया में
हम तो भई नाकाम ठहरे
यूँ भी न नकारो होशियारों
हम भी आख़िर इंसान ठहरे

कहते हैं अक़्लमंद सभी
तुमसे हमे कोई फ़ायदा नहीं
इसी तरक्की पसंद दुनिया में
हम तो बिल्कुल बेकार ठहरे

ले-देकर अपने पास
कुछ पुरानी अमानत है
कुछ वफ़ा के सिक्के हैं
कुछ ईमान की दौलत है
ये दौलत मगर कबकी
यहाँ चलनी बंद हुई
हम तो बिल्कुल कंगाल ठहरे

थककर जा बैठे फिर
एक पेड़ के साए में
वो पेड़ जो फ़र्क़ नहीं करता
अपने में पराए में
उसने मुझे बिठाकर
ना कोई सवाल पूछा
दो फल दिए, कुछ फूल दिए
और दिल का हाल पूछा
बिन मुनाफ़े की बात करे
कोई यूँ ही ख़याल करे
हम तो बिल्कुल हैरान ठहरे

इस हुनरमंद लोगों की दुनिया में
हम तो भई नाकाम ठहरे
यूँ भी न नकारो होशियारों
हम भी आख़िर इंसान ठहरे…