Nikhil

जब भी किसी मन के पहलू में सवाल आएगा

जब भी किसी मन के पहलू में सवाल आएगा
तब लफ़्ज़ों पर चलकर, मेरा ख़याल आएगा

ज़ोर-ओ-ज़बर से छिपा ले तेरा सलूक सबसे
जब पानी ठहरेगा, उभर कर मलाल आएगा

कुरेद मैं की परत, पहुँच तो ज़रा तह तलक
फिर हर शय में नज़र वो ही जमाल आएगा

धो कर हटा दीजे ज़हन से मैल-ओ-माल
फिर हर बात में ही रंग कमाल आएगा

ज़रा से मुनाफ़े के लिए, बेवफ़ाई ना करना
गर उस गली जाएगा निखिल, बेहाल आएगा