Nikhil

कहानी दिल की

किसी की बाग़ पर एक रोज़
चुनने वाली नज़र जो होगी
काटों से बचते कलियों के आगे
फूलों के रंग को तरसती होगी
फूलों में शामिल हम भी होंगे
उनकी नज़र जब भटकती होगी
और भी हसीन चेहरे तो होंगे
उन पर काटों के पहरे तो होंगे
मगर उस रोज़ तो हर तारे की
हम पर रौशनी बरसती होगी
चुनने वाला नज़र नज़र में
और गुलों से पूछता होगा
अपने अरमान बताते हुए
दिलबर अपना ढूंढता होगा
उसकी बात को सुनते ही फिर
हर गुल हँस कर कहता होगा
जैसे गुल की आस है आपकी
वो आगे वहाँ कहीं बैठा होगा
अपनी तरफ़ को आते ही फिर
उनसे नज़र दो चार सी होगी
उस दिन असल में हम खिलेंगे
उस दिन अपनी बहार सी होगी
हौले से नज़दीक आ कर
हमको जब वो छूते होंगे
उँगलियाँ तो तब उनकी
अपनी धड़कन सुनती होगी
बाग़ से हम जब जाते होंगे
उनको सबसे मिलाते होंगे
हमको उनको साथ देखकर
सबकी आखें हँसती होगी
क्या वो चुने जाना होगा
क्या वो कहानी दिल की होगी