Nikhil

किस मुँह से

किस मुँह से आएँ तेरे सामने
मोहब्बत तेरी आँखों से डर लगता है
उन तमाम वादों से
जो तेरे नाम पर कर लिए थे
कि कैसे चलेंगे, जी ना सकेंगे
तुम्हारे हैं तुम्हारे ही होकर रहेंगे
कैसे नजरें मिला लें भला अब
हम जी भी लिए
बनके आ भी गए
किसी और के
चले हम तो थे तेरे रास्ते
तेरे नाम का पैग़ाम ले
हैं आज शामिल उन लोगों में
झुकाए खड़े सर जो बदनाम से
मोहब्बत तेरी अज़मत कितनी बुलंद है
कि सदियों से कितनों ने वादा खिलाफ़ी
मगर तेरा चेहरा अब भी है रौशन
तेरे हुस्न की लौ है अब भी शमा सी
आगे चमकते हुए नूर के
एक अंधेरा भला कैसे गर्दन उठा ले
मोहब्बत हम तुझसे कैसे मिलें
कैसे भला तुझसे नजरें मिला लें