Nikhil

ओ रे सयाने

ओ रे सयाने
तोहे तारे पुकारें
कित कित डोले जहाँ में
कमला हो
ओ रे सयाने
तोहे चंदा पुकारे
कित कित डोले जहाँ में
कमला हो…

मुझको तू देखता था
सोचता था रोकता था
पूछता था दूर इतना
क्यों मैं हूँ
मुझको इशारे करके
माँ से कहता था कि
ऐसे दमकता चमकता
क्यों मैं हूँ
खो गया तू जाने
कैसे दीवाने
तोड़ी प्रीत तूने हो बेगाने ओ
ओ रे सयाने
तोहे तारे पुकारें…

चंदा चंदा थी जो कहती
वो सयानी ही तो थी पर तेरे आगे
बचकानी हो जाती थी
मुझको भूला तो भूला
वो बेचारी है कहाँ
बिन तेरे जो एक निवाला
भी ना मुँह से लगाती थी
निकला था तू तो घर से
घर बनाने घर सजाने
अब कहाँ है घर दीवाने ओ
ओ रे सयाने
तोहे चंदा पुकारे…