Nikhil

सूफ़ी उसी का

रक़्स रक़्स में अक़्स उसी का
शय शय में नक़्श उसी का
महबूब उसका मुहिब उसका
मुहब्बत का हर लम्स उसी का
वो रहबर उसकी रहबरी
हर राह उसकी हर कदम उसी का
पल पल हर पल विर्ध उसी का
मुर्शिद उसका शागिर्द उसी का
ज़मीनी क़ायदे के परे वो आका
नफ़ी उसकी इस्बात उसी का
कैफ़ उसका मय उसकी
सुरूर उसका जाम उसी का
खेल उसका खिलाड़ी उसके
निज़ाम उसके मैदान उसी का
अंदर उसका बाहिर उसका
मकीन उसके मकान उसी का
क्या कहूँ मेरी इबादत बारे
दम उसका लब उसका
सूफ़ उसका सूफ़ी उसी का