Nikhil

तू यूँ मुझको मिल

तू यूँ
मुझको मिल
कि कुछ और न चाहे
फिर मेरा दिल

एक झलक से हुआ
मेरा ये हाल है
मानो पल में समाए
कई साल है
बस उस पल की
इस दिल को
अब आस है
मैं देखूँ जहाँ
तू वहाँ शामिल
तू यूँ
मुझको मिल
कि कुछ और न चाहे
फिर मेरा दिल

बारिश का मौसम
बहारों का मौसम
हो तन्हा ख़िज़ाँएं
या जाड़ों का मौसम
रहे जो महकता
हो चाहे जो मौसम
आ उस फूल सी
मेरे दिल
में तू खिल
तू यूँ
मुझको मिल
कि कुछ और न चाहे
फिर मेरा दिल